🌀 पोस्ट- 49 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ हुदैबिया के रोज सारे लश्करे सहाबा में पानी खत्म हो गया हत्ता की वुजु और पिने के लिए भी पानी का एक कतरा तक न रहा।
हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के पास एक कुजा पानी का था। हुजुर जब उस कुजा से वुजु फरमाने लगे तो सब हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की तरफ लपके और फरियाद की कि या रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) हमारे पास तो एक कतरा भी पानी का बाकी न रहा। न तो वुजु कर सकते है और ना ही अपनी प्यास बुझा सकते है। हुजुर! यह आप ही के कुजे मे पानी बाकि है हम सब के पास पानी खत्म हो गया है और हम सब प्यास की शिद्दत से बेचैन है।
हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने यह बात सुनकर अपना हाथ मुबारक उस कुजे मे डाल दिये लोगो ने देखा की हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के हाथ मुबारक की पांचो उंगलियों से पानी के पांच चश्मे जारी हो गयें। सब लोग इन चश्मो से सैराब होने लगे।
हर शख्स ने जी भर के पानी पिया और प्यास बुझाई। सबने वुजु भी कर लिया। हजरत जाबीर से पुछा गया कि लशकर की तदाद कितनी थी?? तो फरमाया उस वक्त अगर एक लाख आदमी भी होते तो वह पानी सबके लिए
काफी था मगर हम उस वक्त पन्द्रह सौ की तदाद मे थे।
📜 मिश्कात शरिफ, सफा-524
🌹 सबक ~
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हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) को अल्लाह ने यह इख्तेयार व तसर्रुफ अता फरमाया है की आप थोड़ी चीज को ज्यादा कर देते है। ''न'' से हां और मादुम से मौजुद करना अल्लाह का काम है। थोड़े से ज्यादा कर देना मुस्तफा का काम है, यह अल्लाह ही की अता है।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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